सादगी ए ज़िन्दगी...
मैंने इस सादगी ए ज़िन्दगी से पल्ला झाड़ लिया ज़िन्दगी की सच्चाई ने मुझमें कटु...
6 Years Ago
समझदार हो चला.....
कभी समंदर तो कभी दरिया बन के कभी आग तो कभी शोला बन के ज़रूरतमंदों ने खूब गल...
6 Years Ago
शून्य काल
शून्य का मैं खोज हूँ शून्य का मैं ओज हूँ शून्य के रथ पर सवार शून्य क...
7 Years Ago
हद है
अश्कों को आँखों का ठौर पसन्द नहीं उसे पूरी दुनिया से है वास्ता, हद है कर भ...
7 Years Ago
किस्से बयाँ न हो पाता...
सारे किस्से बयाँ न हो पाता कभी दिल के कब्र में हजार किस्से दफ़्न हैं इत...
7 Years Ago
ख्वाव तेरे किरचियाँ बन ...
ख़्वाब तेरी किरचियाँ बन आँखों को अब चुभने लगी गम की आँधियाँ इस तरह ख्वाब...
7 Years Ago