अभी के लिए बस इतना ही
पिछले तीन सालों से मैं लगातार यहाँ, इस ब्लॉग पर, कुछ न कुछ लिखता आ रहा हूँ। चाह...
9 Years Ago
कैद
हर रोज़ एक चार-बाई-तीन की मेज़ के सामने, बैठ जाते हैं लोग और बेचा करते हैं अपनी क...
9 Years Ago
घर
एक घर हो जिसे आप अपना कह सकें, हर किसी की चाहत होती है। इस कविता में अपने घर होन...
9 Years Ago
प्रमाण
तकरीबन दो महीनों से मैंने यहाँ कुछ भी पोस्ट नहीं किया है और वो इसलिए नहीं कि क...
9 Years Ago
ज़रा सोचो
यह कविता थोड़ी गहरी है और रोज़मर्रा की चीज़ों से ज़रा हटके है। हो सकता है कि इस कव...
9 Years Ago