धीरे धीरे हारे लोग!
जीवन जीवन हम ने जग में खेल यही होते देखा,धीरे धीरे जीती दुनिया धीरे धीरे हारे ...
3 Days Ago
जाड़ा: दो कविताएँ!
आज मैं प्रसिद्ध साहित्यकार और कवि श्री रामदरश मिश्र जी की सर्दी के मौसम पर ल...
3 Days Ago
कैसे हैं बेचारे लोग!
दुख के जंगल में फिरते हैं कब से मारे मारे लोग, जो होता है सह लेते हैं कैसे हैं ब...
4 Days Ago
तिरा क्या ख़याल है!
फिर कोई ख़्वाब देखूँ कोई आरज़ू करूँ,अब ऐ दिल-ए-तबाह तिरा क्या ख़याल है| जावेद ...
4 Days Ago
ये मेरा ही जाल है!
बे-दस्त-ओ-पा हूँ आज तो इल्ज़ाम किस को दूँ,कल मैं ने ही बुना था ये मेरा ही जाल है| ...
4 Days Ago
मुझे क्या मलाल है!
घर से चला तो दिल के सिवा पास कुछ न था,क्या मुझ से खो गया है मुझे क्या मलाल है| जा...
4 Days Ago