ज़ख़्म भरने लगे हैं!
ज़ख़्म भरने लगे हैं पिछली मुलाक़ातों के, फिर मुलाक़ात के आसार नज़र आते हैं| ज़...
3 Months Ago
हर तरफ़ उसके!
मैं कहाँ जाऊँ करूँ किस से शिकायत उस की, हर तरफ़ उस के तरफ़-दार नज़र आते हैं| ज़ुब...
3 Months Ago
आप तो ख़ैर!
कोई पागल ही मोहब्बत से नवाज़ेगा मुझे, आप तो ख़ैर समझदार नज़र आते हैं| ज़ुबैर अल...
3 Months Ago
सब तेरी ओढ़नी के!
रास्ते जो भी चमक-दार नज़र आते हैं, सब तेरी ओढ़नी के तार नज़र आते हैं| ज़ुबैर अली ...
3 Months Ago
कविता कैसे लिखते हो तुम!
कल तक मैं अपनी पुरानी कुछ कविताएं शेयर कर रहा था, परंतु फिलहाल जो रचनाएं शेयर ...
3 Months Ago
जो चाहो अब रंग भरो!
अब तुम सोचो अब तुम जानो जो चाहो अब रंग भरो, हम ने तो इक नक़्शा खींचा इक ख़ाका तय...
3 Months Ago