Shri Krishna Sharma

Shri Krishna Sharma's Samaysakshi

I write to express myself, the poems, songs, artists I like
and the places I visit - all those inspire me to write. I
love Raj Kapur, Mukesh and like many many poets.

  • Rated3.3/ 5
  • Updated 3 Days Ago

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धीरे धीरे हारे लोग!
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जीवन जीवन हम ने जग में खेल यही होते देखा,धीरे धीरे जीती दुनिया धीरे धीरे हारे ...
3 Days Ago
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जाड़ा: दो कविताएँ!
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आज मैं प्रसिद्ध साहित्यकार और कवि श्री रामदरश मिश्र जी की सर्दी के मौसम पर ल...
3 Days Ago
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कैसे हैं बेचारे लोग!
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दुख के जंगल में फिरते हैं कब से मारे मारे लोग, जो होता है सह लेते हैं कैसे हैं ब...
4 Days Ago
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तिरा क्या ख़याल है!
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फिर कोई ख़्वाब देखूँ कोई आरज़ू करूँ,अब ऐ दिल-ए-तबाह तिरा क्या ख़याल है| जावेद ...
4 Days Ago
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ये मेरा ही जाल है!
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बे-दस्त-ओ-पा हूँ आज तो इल्ज़ाम किस को दूँ,कल मैं ने ही बुना था ये मेरा ही जाल है| ...
4 Days Ago
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मुझे क्या मलाल है!
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घर से चला तो दिल के सिवा पास कुछ न था,क्या मुझ से खो गया है मुझे क्या मलाल है| जा...
4 Days Ago
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