I write to express myself, the poems, songs, artists I like
and the places I visit - all those inspire me to write.
I
love Raj Kapur, Mukesh and like many many poets.
आज फिर से, लीजिए प्रस्तुत है एक और पुराना ब्लॉग| आज दुष्यंत कुमार जी का एक शेर याद आ रहा है- पहाडों के क़दों की खाइयां हैं बुलंदी पर बहुत नीचाइयां हैं। यह शेर दुष्यंत जी की एक गज़ल से है, जो आपातकाल …