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Dileep Tiwari's Dil Ki Kalam Se

चलो ज़रा वहाँ यादों के
अच्छे दाम मिलते है...

  • Rated2.9/ 5
  • Updated 11 Years Ago

Recent blog posts from Dil Ki Kalam Se


बड़ा बेदम निकलता है...
हँसी होंठों पे रख, हर रोज़ कोई ग़म निगलता है... मगर जब लफ्ज़ निकले तो ज़रा सा न...
11 Years Ago
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भूख बढ़ती ही रही और ज़िंदगी नाटी रही...
झूठी आज़ादी की बस, इतनी ही परिपाटी रही... भूख बढ़ती ही रही और ज़िंदगी नाटी रही....
11 Years Ago
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ख्वाब में चावल के कुछ दाने दिखे...
मिन्नतें रोटी की वो करता रहा... मैं भी मून्दे आँख बस चलता रहा... आस में बादल की, ...
11 Years Ago
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महफ़िलों में एक जलती नज़्म गा लेते हैं हम...
बढ़ रही सर्दी में इक बस्ती जला लेते हैं हम... प्यास जो बढ़ने लगी, खूं से बुझा ल...
11 Years Ago
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चंद्रशेखर आज़ाद को जलते हुए सुमन..
अब खून में आतिश का आगाज़ ज़रूरी है... ज़हनी गुलामों होना आज़ाद ज़रूरी है... हो ...
11 Years Ago
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पेट और सीने की लौ, लय में पिरोकर देखिए...
दूसरों के ग़म से भी आँखें भिगोकर देखिए ... तन को , चुप फुटपाथ के कंकर चुभ...
11 Years Ago
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