कुछ लम्हों में सिर्फ प्रेमिका बन कर रह जाती है वो उतार फेंकती है वो सब कुछ जो ओढ़ लिया है ज़िन्दगी की तरह जब जॉर्डन के साथ देती है जवाब “और कहीं रह नहीं पाउँगा मैं”….हीर के पूछने पर जब मिन्नत करती है वेद को कि मिला दे उसे खुद से कभी और तारा …
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