इक उदास शहर में एक गुलाबी रात चाँद से उतर कर जब एक किस्सा लिखा जा रहा था सतरंगी दुपट्टे में तो वो बेरंग शहर चमक उठा था टिमटिमाते रंगों में महलों से झांकती उदास खिड़कियाँ यूँ हँस दी थी किसी के साथ कहते हैं लोग कि गुलाबी बिखर गया था पलाश के पीले पत्तों सा …
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