गति-मति
क्यूँ बांधते हो अपने को.… अपनों को। बंधन के तीन कारण भाव, स्वभाव और अभाव और ...
9 Years Ago
आओ अपनी-अपनी क़िस्मत बदलते हैं...
आओ अपनी-अपनी क़िस्मत बदलते हैं.. अपना गुज़रा हुआ कल अभी ज़्यादा पीछे नहीं ...
9 Years Ago
जहां मैं गूंजता हूं
दीवारें हैं.. खामोशी हैं... सन्नाटा है.... ...और कुछ साए एक समन्दर-सा है, वक़्...
11 Years Ago
सपने उम्मीद से ...
मौसम बदल रहा है कहीं बादल फट रहे हैं कहीं ज़मीं खिसक रही है कहीं जलजला...तो ...
11 Years Ago
ग़लत है न?
अच्छी हो या बुरी ? सही हो या ग़लत ? ज़िन्दगी कैसी भी हो ? हिसाब ग़लत है दो अधू...
11 Years Ago
लिखना बाकी है
शब्दों के नर्तन से शापित अंतर्मन शिथिलाया लिखने को तो बहुत लिखा पर कुछ लिखना...
12 Years Ago