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Manujmehta's Merakamra

a blog dedicated to poetry

  • Rated2.3/ 5
  • Updated 3 Years Ago

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जाने के बाद
  सब कुछ वैसा ही रहा, धरती, आकाश, जंगल और वो खुद भी! शांत, स्थिर और सुंदर! टूटा कुछ...
3 Years Ago
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कहां हो?
 कहां हो? आपके दिल में अच्छा! कब से? जन्म जन्मांतर से! ऐसी कितनी ही बातों के समं...
3 Years Ago
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कितनी परतें
कितनी परतें चढ़ा दी है परतों पर पहुंचूं तुम तक तो भला कैसे कोई सिरा हाथ नहीं ...
4 Years Ago
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मुई रात
कुछ तो अटका है हलक में शायद, जाम है धड़कन भी भारी सीना है मद्धम है सांस भी शाय...
4 Years Ago
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सिर्फ़ तुम
मैंने जब तुम्हारे बालों को छुआ तुम मुड़ी, थोड़ा हंसी, मैं भी हँसा फिर हमारे साथ ...
4 Years Ago
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जन्मों की डोर
कई जन्मों की डोर हैं हम मैं और तुम जन्मों साथ चले हैं सदियों के फ़ासले तय किये...
4 Years Ago
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