यह मुक्तक संघपति श्रीमती मोहिनी बाई देवराजजी खांटेड़ को खूब पसंद आया
द्वार पर हस्ती झुकानी चाहिए भेंट तन मन की चढ़ानी चाहिए सारी दुनिया अपनी ...
11 Years Ago
सारे जग में गूंजती जिसकी जय जयकार, भाग्यवान जन ही जपें महामंत्र नवकार
ॐ णमो अरिहंताणं ॐ णमो सिद्धाणं ॐ णमो आयरियाणं ॐ नमो उवज्झायाणं णमो लोए सव्व...
11 Years Ago