Veerendra Shivhare

Veerendra Shivhare's Viransh - Vir Ki Kalam Se

वीर की कलम से वीर की
लिखी हुई ग ज़लों और
नज़्मों का संग्रह

  • Rated2.9/ 5
  • Updated 6 Years Ago

Recent blog posts from Viransh - Vir Ki Kalam Se


वीरांश - मेरा पहला कविता संग्रह • वीरांश | वीर की कलम से
वीरांश - मेरा पहला कविता संग्रह • वीरांश | वीर की कलम से
वीरेंद्र शिवहरे, शायरी के लहजे में ‘वीर’ की शायरी अल्फ़ाज़ की सरहदों को पार कर...
6 Years Ago
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दरिया दिया और प्यासे रहे • वीरांश | वीर की कलम से
दरिया दिया और प्यासे रहे • वीरांश | वीर की कलम से
दरिया दिया और प्यासे रहे, उम्र भर साथ अपने दिलासे रहे। जो थे वैसा रहने न दिया, ...
9 Years Ago
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मैं न कोई मसीहा न कोई रहनुमा हूँ • वीरांश | वीर की कलम से
मैं न कोई मसीहा न कोई रहनुमा हूँ • वीरांश | वीर की कलम से
मैं न कोई मसीहा, न कोई रहनुमा हूँ, मैं अपनी आग हूँ, मैं अपना ही धुंआ हूँ। मुझे प...
9 Years Ago
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कभी घर नहीं आता.. • वीरांश | वीर की कलम से
कभी घर नहीं आता.. • वीरांश | वीर की कलम से
यहीं कहीं तो था.. अब नज़र नहीं आता, सिर्फ ठिकाने मिलते हैं, कभी घर नहीं आता । कैस...
9 Years Ago
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अच्छा लगता है... • वीरांश | वीर की कलम से
अच्छा लगता है... • वीरांश | वीर की कलम से
तुम से दिल की हर बात कहना अच्छा लगता है, इस बेगानी दुनिया में तू मुझे अपना लगत...
10 Years Ago
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तराशा हुआ पत्थर हूँ • वीरांश | वीर की कलम से
तराशा हुआ पत्थर हूँ • वीरांश | वीर की कलम से
तराशा हुआ पत्थर हूँ, अब बस टूटना बाकी है, पुर्जे तो मेरे कर चुके हो, अब बस लूटना...
10 Years Ago
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