वीरांश - मेरा पहला कविता संग्रह • वीरांश | वीर की कलम से
वीरेंद्र शिवहरे, शायरी के लहजे में ‘वीर’ की शायरी अल्फ़ाज़ की सरहदों को पार कर...
6 Years Ago
दरिया दिया और प्यासे रहे • वीरांश | वीर की कलम से
दरिया दिया और प्यासे रहे, उम्र भर साथ अपने दिलासे रहे। जो थे वैसा रहने न दिया, ...
9 Years Ago
मैं न कोई मसीहा न कोई रहनुमा हूँ • वीरांश | वीर की कलम से
मैं न कोई मसीहा, न कोई रहनुमा हूँ, मैं अपनी आग हूँ, मैं अपना ही धुंआ हूँ। मुझे प...
9 Years Ago
कभी घर नहीं आता.. • वीरांश | वीर की कलम से
यहीं कहीं तो था.. अब नज़र नहीं आता, सिर्फ ठिकाने मिलते हैं, कभी घर नहीं आता । कैस...
9 Years Ago
अच्छा लगता है... • वीरांश | वीर की कलम से
तुम से दिल की हर बात कहना अच्छा लगता है, इस बेगानी दुनिया में तू मुझे अपना लगत...
10 Years Ago
तराशा हुआ पत्थर हूँ • वीरांश | वीर की कलम से
तराशा हुआ पत्थर हूँ, अब बस टूटना बाकी है, पुर्जे तो मेरे कर चुके हो, अब बस लूटना...
10 Years Ago