दिल का हर सपना टूटता चला गया
मुझे तडपाकर वों गैरों से प्यार कर रही है .
मेरी महबूबा मेरे मरने का इंतज़ार कर रही है ..
ये शायरी नहीं तेरी बेवफाई का नजराना है .
अब तो कब्र ही मेरी मंजिल और कब्र ही मेरा ठिकाना है ..
अब तो दम भी निकलेगा तो तेरा नाम लेकर .
क्या मिला तुझे जालिम मुझे गमे जख्म देकर ..
तुमसे खाकर धोखा जिंदगी बन गयी रेगिस्तान .
इक दिन अपना जीवन कर जायेंगे तेरे नाम ..
तुम मुझे भुला सकती हो मैं न तुम्हे भुला पाऊंगा .
तेरी याद को सीने में लिए दुनिया से चला जाऊँगा ..
मेरे अपने ही मेरी चाहत के दुश्मन हो गए .
मेरा चैन उड़ाकर खुद गहरी नींद सो गए .
लोग तुझे देखते नहीं तेरी करते नुमाइश हैं .
चाहत की जंग में आज मेरी आजमाईश है ..
थोड़ा मुस्कराकर थोड़ा करके इशारा .
तुम बड़े खुश हो मुझे करके बेसहारा ..
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