A

Ashutosh Dubey's Hindi Sahitya

Hindi sahitya,hindi,hindi sahitya ka itihaas

  • Rated3.0/ 5
  • Updated 1 Year Ago

निःस्वार्थ भावना

Updated 6 Years Ago

निःस्वार्थ भावना
निःस्वार्थ भावना रामसिंह एक शिक्षक था। शिक्षण के साथ साथ उसे पौधे लगाने का बहुत शौक था।जहाँ भी उसे कोई खाली जगह दिखाई देती ,कोई न कोई पौधा रोप देता था .पाठशाला को उसने हरा भरा बना दिया था। एक दिन एक बच्चे ने शिक्षक से पूछा-गुरु जी आप इतनी रुचि लेकर पौधे लगाते हैं। इसके बदले आपको क्या मिलेगा।आप किसी दूसरी जगह बदली होकर चले जाएंगे। आप न तो इनकी छाया में बैठ पाएंगे और न इनके फल खा पाएंगे।
Read More