हबीब जालिब की नज़्म “कॉफ़ी-हाउस”
दिन-भर कॉफ़ी-हाउस में बैठे कुछ दुबले-पतले नक़्क़ाद* बहस यही करते रहते हैं ...
9 Years Ago
अल सल्वाडोर के क्रान्तिकारी कवि रोके दाल्तोन की कविता - तुम्हारी तरह
तुम्हारी तरह मैं भी प्यार करता हूँ प्यार से, ज़िन्दगी से, चीज़ों की भीनी-...
9 Years Ago
विजयी लोग - पाब्लो नेरूदा की कविता
मैं दिल से इस संघर्ष के साथ हूँ मेरे लोग जीतेंगे एक-एक कर सारे लोग जीतेंगे ...
9 Years Ago
जीना - नाज़िम हिकमत की कविता
जीना कोई हँसी-मजाक की चीज़ नहीं, तुम्हें इसे संजीदगी से लेना चाहिए। इतना ...
9 Years Ago
मेरे जूते को बचाकर रखना - गाज़ा नरसंहार पर एक मार्मिक कविता
गाज़ा में इज़रायली बमबारी से ढाये जा रहे क़हर की सबसे ह्रदय विदारक तस्वीरो...
10 Years Ago
मुक्तिबोध की कविता \'अँधेरे में\' का एक अंश
सब चुप, साहित्यिक चुप और कविजन निर्वाक् चिन्तक, शिल्पकार, नर्तक चुप हैं उनक...
10 Years Ago