A

Ankur Rastogi's Gubaar-e-dil

An expression of my creativity........

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  • Updated 12 Years Ago

बातें

Updated 15 Years Ago

बातें
ख्वाबों में मेरे कुछ लम्हें आया-जाया करते हैं. सर्द शबों के वो मंज़र था तेरा घर या मेरा घर कुछ याद नहीं पर हम अक्सर बैठे हुए उस दहलीज़...
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