A

Atul Prakash Trivedi's Shabd Aur Arth

My writings are expressions of my beliefs. These also
represent my views on events, life, and time. I look for
stamps of time in the Cosmos.

  • Rated2.4/ 5
  • Updated 11 Years Ago

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हम पुरनिया !!
धवल-स्फटिक श्रृंगार केश का  ढीला-ढाला वस्त्र देह का ; मद्धिम होती तपिश प्रेम...
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चौबीस घन्टे
कितने दिनों बाद  बिना किसी डायरी के  बिना शायरी के  बिताया ज़िंदगी का एक द...
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उत्सव
लो फिर आ गया मौसम  त्यौहारों का  व्यवहारों का लौटा फिर वृक्षों पर  नये पात औ...
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