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Archit Aggarwal's Khel Shabdon Ka

The blog contains poems, stories and essays written by me.
Although most of the work is in Hindi, I have tried writing
in English as well.

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  • Updated 9 Years Ago

कैद

Updated 9 Years Ago

हर  रोज़ एक चार-बाई-तीन की मेज़ के सामने, बैठ जाते हैं लोग और बेचा करते हैं अपनी काबीलियत, समय और सपने। या कभी तो घर तक उठा लाते हैं बोझ और चुपचाप सी रात में नींदों का क़त्ल कर दिया जाता है। ये पैसा ब…
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