#पिता_पुत्र_डायरी
कल ऑफिस से लौटा तो अगस्त्य ने दरवाज़े पर आकर अपनी अस्पष्ट भाषा में चिल्लाते ह...
2 Years Ago
Doper\'s Diary
जो हैं नहीं वो चेहरा दिखलाये जा रहे हैं अपने से आईने को झुठलाए जा रहे हैं नि...
3 Years Ago
और जिस समय
और जिस समय गुलमोहर के बौराये डाल पर बैठे कुछ मदमस्त गौरये बेपरवाह होकर झू...
5 Years Ago
Doper\'s Diary
सुनो, गुड़हल की वो टहनी थी ना? जो पिछले तीनों मौसम से अवसाद में झूल रही थी ...
5 Years Ago
लिखो
लिखो तो ख़ुद को खोल कर लिखो सतहें छिल कर लिखो, आत्मा निचोड़ कर लिखो ढकोसले स...
6 Years Ago
लिखो
लिखो तो ख़ुद को खोल कर लिखो सतहें छिल कर लिखो, आत्मा निचोड़ कर लिखो ढकोसले स...
6 Years Ago