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Rahul Raj's Dopers Diary

I have blogged some of my hindi poems

  • Rated2.6/ 5
  • Updated 3 Years Ago

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कल ऑफिस से लौटा तो अगस्त्य ने दरवाज़े पर आकर अपनी अस्पष्ट भाषा में चिल्लाते ह...
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जो हैं नहीं वो चेहरा दिखलाये जा रहे हैं  अपने से आईने को झुठलाए जा रहे हैं  नि...
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