Dhruv singh

Dhruv Singh's Eklavya

Poems,in,Hindi,related,to,human,feelings

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  • Updated 4 Years Ago

ख़त्म करो !

Updated 6 Years Ago

   ख़त्म करो !
                              ख़त्म करो ! हाँ सखी ! मैंने तन बेचा है।  दिल्ली की उन सड़कों पर  अपना कलुषित मन बेचा है।  हा...
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