Dhruv singh

Dhruv Singh's Eklavya

Poems,in,Hindi,related,to,human,feelings

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  • Updated 4 Years Ago

चार पाए

Updated 6 Years Ago

चार पाए
घर के कोने में  बैठा-बैठा फूँक रहा हूँ, उस अधजली सिगरेट को।  कुछ वक़्त हो चला है, फूँकते-फूँकते धूम्र-अग्नि से बना  क्षणिक मिश्रण ...
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