Dhruv singh

Dhruv Singh's Eklavya

Poems,in,Hindi,related,to,human,feelings

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  • Updated 4 Years Ago

जीवित स्वप्न !

Updated 6 Years Ago

 जीवित स्वप्न !
 जीवित स्वप्न ! चाँद के भी पार होंगे  घर कई ! देखता हूँ रात में  मंज़र कई  चाँदी के दरवाज़े  बुलायेंगे मुझे  ओ मुसाफ़िर !...
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