श्रद्धा और आनंद से परिपूर्ण एक यात्रा
घूमना मुझे शुरू से ही अच्छा लगता है । और छुट्टियों में प्रोग्राम भी बनाते है...
8 Years Ago
वास्तविक साथ
सुबह का ये एक घंटा ऐसा होता था जब न तो कोई फ़ोन होता था न नेट न ऐसी न बिस्तर ।बस स...
9 Years Ago
मुक्तक (76 )
(226 ) रोते मुस्काते जीवन की मैं एक कहानी लिखती हूँ तेरे मन की अपने मन की जानी पहच...
9 Years Ago
मुक्तक (75 )
(223 ) धरा काँपी मिटा घरवार है देखो बहा आँसू रहा संसार है देखो न जाने लोग कितने है...
9 Years Ago
मुक्तक (74 )
(220 ) बड़ा अभिमान था खुद पर झुका कर सर नहीं देखा कमाई खूब दौलत धर्म अपना पर नहीं द...
9 Years Ago
मुक्तक (73 )
(217 ) लेकर समन्दर प्यास के बैठे रहे हम पास समझे नही फिर भी हमारे वो कभी अहसास सहत...
9 Years Ago