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Dr Archana Gupta's Its Archana

A blog where I give words to my thoughts in the form of
poems, stories and articles.

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  • Updated 8 Years Ago

मुक्तक (73 )

Updated 9 Years Ago

(217 ) लेकर समन्दर प्यास के बैठे रहे हम पास समझे नही फिर भी हमारे वो कभी अहसास सहते रहे हम जिन्दगी भर आँसुओं की पीर फिर से बने दुख मीत अपने सुख चले वनवास (218 ) जुल्म को सहना नहीं, ये पाप होता है र…
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