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Dr Archana Gupta's Its Archana

A blog where I give words to my thoughts in the form of
poems, stories and articles.

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मुक्तक (74 )

Updated 9 Years Ago

मुक्तक (74 )
(220 ) बड़ा अभिमान था खुद पर झुका कर सर नहीं देखा कमाई खूब दौलत धर्म अपना पर नहीं देखा समय की मार तो देखो न काया है न माया है सभी ने साथ अब छोड़ा तुझे मुड़ कर नहीं देखा (२२१) लगेंगी ठोकरें हर पल सँभलन…
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