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Dr Archana Gupta's Its Archana

A blog where I give words to my thoughts in the form of
poems, stories and articles.

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वास्तविक साथ

Updated 9 Years Ago

वास्तविक साथ
सुबह का ये एक घंटा ऐसा होता था जब न तो कोई फ़ोन होता था न नेट न ऐसी न बिस्तर ।बस साथ था लोगों का और प्रकृति का । और जिस साथ से हमें सुकून मिलता है वही होता है वास्तविक साथ।…
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