Indranil Bhattacharjee

Indranil Bhattacharjee's Jazbaat, Zindagi Aur Main

I post my hindi compositions in this blog, my poems, ghazal,
essays or notes on different topics, and whatever comes to
my mind

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  • Updated 3 Years Ago

चल मैं हारा, तू जीता

Updated 3 Years Ago

वक़्त कहाँ है, बैठ के सोचूं क्या खोया क्या पाया है, ढल रहा है दिन का सूरज मुझसे लम्बा साया है।   बस यही हासिल है मेरा तनहा लम्हा, टूटे ख्व्वा...
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