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Indu Singh's Hridyanubhuti

kavita likhi nahi jaati ,swatha likh jaati hai.

  • Rated2.3/ 5
  • Updated 3 Years Ago

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इंतज़ार समझते हैं ?
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इंतज़ार समझते हैं ? जब कोई किसी के इंतज़ार में होता हैतो वह और कहीं नहीं होता है...
3 Years Ago
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दम मारो दम !
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अपनी चिलम अपना नशा खुद बनाएँताकि नशे का अनुपात बराबर रहे।******नशे की भिन्न प्र...
3 Years Ago
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खिलते हैं गुल यहाँ …!
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न चाहते हुए भी आज उसने कहातुम जैसा हो जाना चाहती हूँयाद ही न रहे कि तुम हो कही...
3 Years Ago
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बसंत की सुबह !
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सजीव और निर्जीव कोसाथ-साथ देखना कैसा होता हैकभी दोनों एक से प्रतीत होते हैं।...
3 Years Ago
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यात्रा !
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यात्रा कितनी भी कर ली जाएबहुत कुछ छूट ही जाता है। सफ़र परसब जल्दी में रहते हैं...
3 Years Ago
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चिड़िया को नहीं मालूम !
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चिड़िया को नहीं मालूमकोई रख देता है दाने उसके इंतज़ार मेंचिड़िया आती है और उ...
3 Years Ago
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