"लाहोरे के उस पहले जिले के दो परगना में पहुंचे रेशम गली की दूजे कुचे के चौथे मकान में पहुंचे और कहते है जिसको दूजा मुल्क उस पाकिस्तान में पहुंचे लिखता हूँ ख़त में हिंदुस्तान से पहलु इ हुस्न में पहुंचे ओ हुसना मैं तो हूँ बैठा ओ हुसना मेरी यादों पुराणी में खोया मैं तो हूँ बैठा ओ हुसना मेरी i यादों पुराणी में खोया पल पल को गिनता पल पल को चुनता बीती कहानी में खोया पत्ते जब झडते हिंदुस्तान में यादिएँ तुम्हारी ये बोलेन ..."