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अतुल's Lakhnawi

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ब्लॉग - लेख,
विचार और
कटाक्ष...

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  • Updated 4 Years Ago

मानव

Updated 11 Years Ago

कभी मैं उसके आँगन में लहराता था, धूप लू में बाहें फैला, छाँव के आँचल से कुटिया को सहलाता था। अब उन्हीं गगन चूमती कुटियों की छाँव में पलता ह...
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