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Laxmi N. Gupta's Kavyakala

Primarily my poems and prose pieces

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  • Updated 3 Months Ago

शौचालय

Updated 6 Years Ago

शौचालय बनवाय देव हो बालमा शौचालय न बनवैहो तो मोहिं ते हाथ धोइहौ मैं मैके चली जइहौं हो बालमा तुम चुल्हवा जरैहौ और आगी फुँकिहौ जरी रोटी फिरि ...
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