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Laxmi N. Gupta's Kavyakala

Primarily my poems and prose pieces

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  • Updated 3 Months Ago

मेरी पसंदीदा कव्वाली

Updated 6 Years Ago

कभी यहाँ तुम्हें ढूँढा, कभी वहाँ पहुँचा तुम्हारी दीद की ख़ातिर कहाँ-कहाँ पहुँचा ग़रीब मिट गए, पामाल हो गए लेकिन किसी तलक न तेरा आज तक नि...
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