L

Laxmi N. Gupta's Kavyakala

Primarily my poems and prose pieces

  • Rated2.4/ 5
  • Updated 3 Months Ago

कल आज और कल

Updated 6 Years Ago

पहले ऐसा लगता था कि हर चीज़ टिकाऊ होनी चाहिए जो सालों तक चले, कभी घिसे नहीं अब जब ज़िन्दगी ही थोड़े दिनों की रह गई है तब टिकाऊ होने की उतनी...
Read More