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Laxmi N. Gupta's Kavyakala

Primarily my poems and prose pieces

  • Rated2.3/ 5
  • Updated 4 Months Ago

पागल मन

Updated 6 Years Ago

शराब है, मस्ती है, बेफ़िक्री है मगर साकी नहीं पास है बिन साकी के शराब पीने में न मज़ा है, न हुलास है साकी को देखा तो नीयत बदल गई क्या कहूँ ...
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