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Manujmehta's Merakamra

a blog dedicated to poetry

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जाने के बाद

Updated 3 Years Ago

  सब कुछ वैसा ही रहा, धरती, आकाश, जंगल और वो खुद भी! शांत, स्थिर और सुंदर! टूटा कुछ मेरे अंदर  पर किसी ने आवाज़ नहीं सुनी! कुछ बिखरा अचानक, ...
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