चलना हमारा काम है / शिवमंगल सिंह ‘सुमन’
गति प्रबल पैरों में भरी फिर क्यों रहूं दर दर खडा जब आज मेरे सामने है रास्ता इत...
2 Years Ago
आया प्यारा मौसम छप छ्प छप छप कीचड का
के देखो कैसे भूरी मिटटी काली काली बन जाती है . कैसे मेंडक ऊपर आकर, टर टर का राग...
11 Years Ago
मेरी जिंदगी
काश के मुझे तुमसे प्रेम ना हुआ होता, तुम जानती हो मेरे कितने काम बढ़ गए हैं, मुझ...
15 Years Ago
चाँद रात
तो कल रात आप फिर नही सोए , वही पुराने तारों को देखते रात गुजारी , आया वो त...
15 Years Ago
ना जाने कहाँ खो गई
आज हम इतने आगे बाद गए हैं की पीछे छुते अपने ही पैरों के निशानों को पहचाना शाय...
15 Years Ago
मेरा ये दिल भी बस मुफलिसी मैं ही मचलता है
ये दौर जिंदगी का ना जाने क्यूँ बदलता है , मेरा दिल भी बस मुफलिसी मैं ही मचल...
15 Years Ago