ग़ज़ल
शबे - माहताब न रहेगी उम्र भर ऐ दोस्त तू तारिकियों में भी काम चलाना सीख ले कब ...
2 Years Ago
गजल
उन शाखोँ पर फिर से पत्ते नहीँ आये जो काट डाली थी तूने अपने हाथ से वह क्यारिया...
6 Years Ago
एक नजम
आखिर चुने गये तुम रिश्तोँ की मिनारों मेँ और साँस ले रहे हो एहसास की दरारों ...
6 Years Ago
इक हंसी शाम को दिल मेरा खो गया - मेरी आवाज
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7 Years Ago
द हरिकैन - कविता
बहुत दिनों से कुछ लिखा नहीं था I आज दिन में टेलीविज़न पर एक अंग्रेजी फिल्म "The Hurr...
7 Years Ago