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Mukesh Kumar Tiwari's Kavitaayan

A Place for My Poetry where you would find My Sorrows,
Disappointments are transformed in to a poetry.

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  • Updated 3 Years Ago

कविता : अमराई में बारूद

Updated 5 Years Ago

हाँ, मैं भूल गया हूँ मुस्कुराना/ अपने से बातें करना/ कहकहे लगाना/ या तुम्हारे गेसुओं में फिराते उँगलियाँ भूल जाना जीने की जिल्लत जब से...
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