R

Rhythmic Hell's Life Is Just A Life

It is just an attempt to extend myself in the air.

  • Rated3.8/ 5
  • Updated 8 Years Ago

खुशबू सीली गलियों की - सीमा दी

Updated 9 Years Ago

खुशबू सीली गलियों की - सीमा दी
खुशबू सीली गलियों की, सीमा दी, Seema Ji, Khushbu Seeli Galiyon Ki, Hindi Kavita Sangrah, Hindi, hindi kavita, "खुशबू सीली गलियों की" के बारे में लिखने के लिए मुझे बहुत देर हो चुकी है शायद। पता नहीं किसी कविता संग्रह के बारे में लिखने के लायक हूँ मैं या नहीं परन्तु एक संग्रह है जिसके बारे में मैं कुछ लिखना चाहता हूँ। संग्रह का नाम है "खुशबू सीली गलियों की" जिसमें संगृहीत हैं सीमा दी की कवितायेँ। कविताओं का संग्रह क्या है नव गीत की सुलभ विवेचना, प्रयुक्त छंदों के उद्धरण के साथ जीवन के अनुभूत भावों का मार्मिक प्रस्तुतीकरण है। इस संग्रह को थोड़ा और सार्थक किया है या यूँ कहें ४ चाँद लगाएँ हैं ओम नीरव जी की प्रस्तावना ने। छंदों के नियम स्पष्ट करते हुए हिंदी विषय के विज्ञ सदय अध्यापक की भांति ओम जी ने इसी संग्रह से विविध उदाहरण प्रस्तुत कर पाठक की उत्सुकता आतुरता को इस हद तक बढ़ा दिया है कि पाठक ऊहापोह में पड़कर सोचने लगता है कि प्रस्तावना पूरी पढ़ी जाये या सीधे ही नवगीतसागर में डुबकी लगाई जाये। चलिए मैं भी कहानी सुनाना बंद कर इसी संग्रह की कुछ पंक्तियों से संग्रह का परिचय देता हूँ। तुम मुझे दो शब्द और मैं शब्द को गीतों में ढालूँ जिस प्रकार सागर की पहली लहर ही हमें सागर के सामर्थ्य का एहसास करा जाती है उसी प्रकार इन पंक्तियों में गुंजित प्रवाह हमें सहज ही सीमा दी के नवगीतों की गीतात्मकता का अनुभव कराता है। इन गीतों के साहित्यिक सौष्ठव बारे में लिखना, इनकी विवेचना करना, मेरे लिए तो संभव नहीं है बस अब दो दो पंक्तियाँ दे रहा हूँ उनके लिए जो अब तक इस संग्रह से अपरिचित है या दूर हैं -- पत्थरों के बीच इक झरना तलाशें उफ़!! तुम्हारा मौन कितना बोलता है तुम चिंतन के शिखर चढ़ो हम चिंताओं में उतरेंगे दिन के कन्धों पर लटके है वेतालों से सपने अट्टहास कर रहे दशा पर वाचालों से सपने क्यों भला भयभीत है पिंजरा पैरों से साफ़ तो बतलाइए तुम्हारे स्वप्न में गुम हूँ अभी सच में न आ जाना और भी, हर गीत उद्धरणीय है। मैं धन्य हूँ कि मैं सीमा दी को जनता हूँ पहचानता हूँ मिला हूँ। अपरिमित शुभकामनाओं
Read More