R

Rhythmic Hell's Gandhi Ka Sach

Just an attempt to disclose the reality of gandhi's actions.

  • Rated3.3/ 5
  • Updated 8 Years Ago

सर्वोच्च न्यायालय का निर्देश (3): देश की भूमि देने से पहले संविधान संशोधन आवश्यक

Updated 8 Years Ago

सर्वोच्च न्यायालय का निर्देश (3): देश की भूमि देने से पहले  संविधान संशोधन आवश्यक
सर्वोच्च न्यायालय का निर्देश (3) देश की भूमि देने से पहले संविधान संशोधन आवश्यक n डा.कृष्ण गोपाल मूल लेख पांचजन्य से साभार: लिंक मूल लेख स्रोत: Panchjanya - Weekly तारीख: 11/26/2011 12:29:13 PM गतांक से आगे भारतीय संविधान में नौवां संशोधन-1960 सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ के सर्वसम्मत दिशा निर्देश के बाद प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू के पास अब कोई दूसरा मार्ग नहीं बचा था। अन्ततोगत्वा, नेहरू-नून समझौता 1958 को लागू कराने के लिए भारतीय संविधान में संशोधन की प्रक्रिया पूर्ण की गई तथा संविधान संशोधन 28 दिसंबर, 1960 को सम्पन्न हुआ। इसके बाद ही असम, पंजाब, पश्चिम बंगाल तथा त्रिपुरा राज्यों की सीमाओं के निर्धारण तथा भारतीय भूमि के आदान-प्रदान (प्रत्यावर्तन) का मार्ग खुला। संविधान के इस नौवें संशोधन के कारण ही भारतीय भूमि के किसी हिस्से को दूसरे देश को हस्तांतरित करने का अधिकार भारत सरकार को प्राप्त हो सका और नेहरू नून-समझौता 1958 लागू होने की पृष्ठभूमि तैयार हुई। सर्वोच्च न्यायालय के इन ऐतिहासिक निर्देशों ने भारतीय राजनीतिक इतिहास में सदैव के लिए एक उदाहरण स्थापित कर दिया कि, 'बिना संविधान संशोधन किये भारत की कोई भी भूमि किसी दूसरे देश को नहीं दी जा सकती।' सरकार को ऐसा करने को बाध्य करने वाले भारत के प्रथम राष्ट्रपति डा.राजेन्द्र प्रसाद तथा संविधान पीठ के सभी विद्वान न्यायाधीशों के प्रति यह देश सदैव आभारी रहेगा। क्रमश: इन्दिरा-मुजीब समझौता, मनमोहन-शेख हसीना समझौता, संविधान संशोधन,
Read More