सर्वोच्च न्यायालय का निर्देश (5)
देश की भूमि देने से पहले
संविधान संशोधन आवश्यक
n डा.कृष्ण गोपाल
मूल लेख पांचजन्य से साभार: लिंक मूल लेख
स्रोत: Panchjanya - Weekly तारीख: 11/26/2011 12:29:13 PM
गतांक से आगे
वर्तमान भारत-बंगलादेश समझौते को स्थिति
6 सितम्बर, 2011 को ढाका में हुए भारत-बंगलादेश समझौते के सम्बंध में केन्द्र सरकार का यह दायित्व है कि वह अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए देश की जनता के सामने सभी तथ्यों को उजागर करे। कहां पर कौन-सी भूमि हम बंगलादेश को दे रहे हैं और कहां कौन-सी भूमि हमको प्राप्त हो रही है, यह बताए। 'एन्क्लेव्स' तथा अनधिकृत कब्जों वाली भूमि का पूरा और व्यापक ब्यौरा संसद के पटल पर रखा जाए तथा सभी संबंधित मुद्दों पर व्यापक चर्चा हो। तभी यह बात साफ हो पायेगी कि 'भारतीय एन्क्लेव्स' की कितनी अधिक भूमि बंगलादेश के पास चली जाएगी तथा 'एडवर्स पजैसन' की स्थितियों में परिवर्तन के बाद भारत को कुल मिलाकर कितनी भूमि से हाथ धोना पड़ेगा। भारतीय क्षेत्रफल का किसी भी प्रकार से कम होना न तो राष्ट्रहित में होगा और न ही संवैधानिक दृष्टि से ही उचित कहा जाएगा। भारतीय संसद में व्यापक चर्चा के उपरांत यदि ऐसा लगता है कि बंगलादेश के साथ मित्रवत संबंधों को बनाये रखने के लिए 11,000 एकड़ भूमि खोना देश हित में है, तो भी भारत सरकार को अपने संवैधानिक दायित्वों का निर्वाह संविधान में संशोधन करके ही करना होगा।
क्रमश:
इन्दिरा-मुजीब समझौता, मनमोहन-शेख हसीना समझौता, संविधान संशोधन,
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