तुम्हे नहीं पता होगा, Tumhe nahi pata hoga, नीरज द्विवेदी, Neeraj Dwivedi, Hindi, hindi kavita, poem, hindi poem, hindi poetry, Love,
तुम वही हो न,
जिसकी पलकों के इशारे
बादलों को आकार
और समय को पल पल बदलने के गुर सिखातें हैं
तुम वही हो न
जिसके होंठों के आकार
जब चाहें
मौसम में ख़ुशी और उदासी ले आते हैं
तुम वही हो न
जिसकी आँखों के सम्मोहन से
चाँद तारे और सूरज एक निर्धारित गति से घूमते रहते हैं
तुम वही हो न
जिसके बाल
बदलियों को काला रंग लेने की जिद्द देते हैं
चलो छोडो
तुम्हे नहीं पता होगा
तुमने कभी देखा ही नहीं होगा
ध्यान से, ये चाँद, सूरज, तारे, और बदलियाँ
कभी सुनी ही नहीं होगी
चहलकदमी ख़ुशी या उदासी की
पर मुझे पता है
ये सच है।
-- नीरज द्विवेदी
-- Neeraj Dwivedi
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