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Nikita Aggarwal's Luringthoughts

Life of a person is diverged on various ways. The blog
clutch them on a single platform.

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  • Updated 10 Years Ago

Tu kuch hai..

Updated 10 Years Ago

Tu Kuch Hai..
तेरे ही सजदे में झुका के सर मैं दिन-रात संवरती जायूं , ना किसी चीज़ की दरकार हो मैं तुझमे ही बस रमती जायूं … एक लॉ जल रही है मेरे अंतर्मन में , झील एक मुसलसल, चलती ही जा रही है, कल्पना अदब ये बहती ह…
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