N

Nirav Singh's The Salvage

Simple expression of my mind..

  • Rated1.7/ 5
  • Updated 13 Years Ago

I'm Ashamed..

Updated 13 Years Ago

कभी साया, कभी धूप मुक़द्दर है मेरा; होता रहता है यूँ ही हिसाब बराबर मेरा! टूट जाते हैं कभी मेरे किनारे मुझमें; डूब जाता है कभी मुझमें सम...
Read More