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Sudhir Pandey's Jeevan Ke Padchinha

poems, poetry by nri, story of life

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  • Updated 14 Years Ago

ज़माना है

Updated 14 Years Ago

ज़माना है
मेरे हालात पर क्यों हँसता ज़माना है मेरा कातिल मेरा मुनसिब ज़माना हैं हर गम-औ-ख़ुशी को बेबस अपनाना है हाय! क्या बेदर्द यह दस्तूर-ए-ज़माना है...
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