Prakash Pankaj प्रकाश पंकज

Prakash Pankaj प्रकाश पंकज's Prakash Pankaj

बस अब इतनी विनती करता
हूँ – “हे ईश्वर अब कलम
न छूटे !”

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दरिद्र नारायण

Updated 9 Years Ago

दरिद्र नारायण
सूखी रोटी, पवन हिलोरे,नभ चादर, थल शैय्या।मेरे दरिद्र नारायण भईया।टूटी झोपड़, फूस की नथिया,बाबा की टूटी नईया ।मेरे दरिद्र नारायण भईया।बाल जटीला, खाल मटीला,न बकरी न गैया।मेरे दरिद्र नारायण भईया।हल न क…
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