Prakash Pankaj प्रकाश पंकज

Prakash Pankaj प्रकाश पंकज's Prakash Pankaj

बस अब इतनी विनती करता
हूँ – “हे ईश्वर अब कलम
न छूटे !”

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  • Updated 9 Years Ago

कलेजे को समन्दर किया होता

Updated 12 Years Ago

कलेजे को समन्दर किया होता
एक बार जो जरा देख मुझे मुस्कुरा दिया होता, कसम खुदा की, कलेजे को समन्दर किया होता !अरे! कभी जो सपनों से मुझे झाँक ही लिया होता,मजाल! जो उसे बटोर के न हकीकत किया होता?बस एक कदम खुद धरती पे हमारी जो …
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