Prakash Pankaj प्रकाश पंकज

Prakash Pankaj प्रकाश पंकज's Prakash Pankaj

बस अब इतनी विनती करता
हूँ – “हे ईश्वर अब कलम
न छूटे !”

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  • Updated 9 Years Ago

रतियाँ कुहके कोयलिया, दिन मा उल्लू जागे

Updated 11 Years Ago

रतियाँ कुहके कोयलिया, दिन मा उल्लू जागे
रतियाँ कुहके कोयलिया, दिन मा उल्लू जागे,नीति-रीति सब बिसराए दुनिया भागे आगे।भागे देखो ऐसा की मन मा शैतनवा जागे,देह-नेह दरकार रे भैया, मन अनुराग न जागे।अनुराग जे बाप-माए के अब त विषैला लागे,घर में अ…
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