Prakash Pankaj प्रकाश पंकज

Prakash Pankaj प्रकाश पंकज's Prakash Pankaj

बस अब इतनी विनती करता
हूँ – “हे ईश्वर अब कलम
न छूटे !”

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  • Updated 9 Years Ago

"आवरण" - (लघु कथा)

Updated 9 Years Ago

"आवरण" - (लघु कथा)
“आवरण”मैं अभी एक खाली ऑटो में बैठा ही था। ऑटो वाला बाकी सवारियों का इन्तजार कर रहा था। टाइम पास के लिए मैंने दोस्त को फोन लगाया। उधर से उसकी आवाज़ आयी,“हाँ बोल, कैसा है? ”“ठीक हूँ, तू बत…
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