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Rohit Kumar Singh's Floating-expressions

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  • Updated 6 Years Ago

न जाने मैं कहाँ आ गया

Updated 12 Years Ago

न जाने मैं कहाँ आ गया
मीलों तक छाया सन्नाटा, बस अँधेरे रौशन हैं यहाँ, वीरान गलियों से गुजर कर, न जाने मैं कहाँ आ गया ! खामोश वादियों के बीच, ख़ामोशी के...
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