Roushan Kumar

Roushan Kumar's Roushan's Poetry Page

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  • Updated 10 Years Ago

कशमकश यादों और भूल जाने की !!!

Updated 13 Years Ago

किताबो के पन्नों में रख लिया है आपने उन्हें कहीं वो भी न बिखर जाये सूखे फूलों जैसे और गिर पड़े उन पन्नों से वो और उनकी यादें कहीं वो उड़ न जाये सूखे पतों जैसे उन  मदमस्त हवा के झोकें के साथ वो सूरज…
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